भारत में गाय और बैलों की दुर्दशा:-
कैसे हो रही है भारत में गाय और बैलों की दुर्दशा:-
गौ और गो प्रजाति का महात्म्य :-
हमारे धर्म ग्रंथ महाभारत में वर्णित महाराजा नहुष और महर्षि च्यवन मुनि के संवाद में महर्षि च्यवन मुनि ने राजा नहुष को गायों का महत्व इस प्रकार बतलाए हैं -
मैं इस संसार में गौ के समान दूसरा कोई धन नहीं समझता। वीरवर ! गौ के नाम और कीर्तन करना, सुनना, गाय का दान देना और उनका दर्शन करना, इनकी शास्त्रों में बड़ी प्रशंसा की गई है। यह सब कार्य संपूर्ण पापों को दूर करके परम कल्याण देने वाले हैं। गौएं लक्ष्मी की जड़ हैं। उनमें पाप का लेशमात्र भी नहीं है। गाय ही मनुष्य को अन्न और देवताओं को उत्तम हविष्य देने वाली हैं। स्वाहा और वषट्कार सदा गौवों में ही प्रतिष्ठित होते हैं। गौवें ही यज्ञ का संचालन करने वाली और उसका मुख हैं। वे विकार रहित दिव्य अमृत धारण करती हैं और दुहने पर अमृत ही देती हैं। गाय अमृत का आधार होती है और सारा संसार उनके सामने मस्तक झुकाता है। इस पृथ्वी पर गौ तेज और अग्नि के समान हैं। वे महान तेज की राशि और समस्त प्राणियों को सुख देने वाले हैं। गायों का समुदाय जहां बैठकर निर्भयता पूर्वक सांस लेता है, उस स्थान की शोभा बढ़ जाती है और वहां का सारा पाप नष्ट हो जाता है। गाय स्वर्ग की सीढ़ी हैं। वह स्वर्ग में भी पूजी जाती हैं। गायें समस्त कामनाओं को पूर्ण करने वाली हैं। गायों से बढ़कर दूसरा कोई नहीं है।
जो मनुष्य सदा यज्ञशिष्ट अन्न का भोजन और गोदान करते हैं उन्हें प्रतिदिन अन्न दान और गोदान करने का फल मिलता है। दही और घी के बिना यज्ञ नहीं हो सकता। उन्हीं से यज्ञ संपादित होता है। इसलिए गाय को यज्ञ का मूल कहते हैं। सब प्रकार के दानों में गोदान ही उत्तम माना गया है। गौएं श्रेष्ठ, पवित्र तथा परम पावन बताई गई हैं। मनुष्य को अपने शरीर की पुष्टि तथा सब प्रकार के विघ्नों की शांति के लिए गायों का पूजन करना चाहिए। इनका दूध, दही और घी सब पापों से मुक्त करने वाला होता है। गौएं इस लोक और परलोक में भी महान तेजोरूप मानी गई हैं। उनसे बढ़कर पवित्र कुछ भी नहीं है। गोलोक समस्त देवताओं और लोकपालों के ऊपर है।
जिस देश में गाय और बैलों अथवा गो प्रजाति का आदर - सत्कार, सम्मान और जहां गाय व बैलों को सुख नहीं मिलता; उस देश का समझो विनाश निश्चित रहता है। उस देश की प्रजा कभी भी सुख और शांति प्राप्त नहीं कर सकती। जिस देश में गाय का अनादर होता है, उस देश में अराजकता, कलह और हिंसा इत्यादि अवगुण व्याप्त रहते हैं और वहां की प्रजा तरह तरह के कष्ट पाती है तथा अकाल तथा अकाल मृत्यु से पीड़ित रहती है।
भारत में गो प्रजाति की स्थिति में सुधार कैसे होगा -
जिस प्रकार तहखानों में रखे गए करोड़ों करोड़ों रुपए, सरकार खुफिया विभाग के द्वारा पता कर लेती है, उसी प्रकार सरकार भारत देश के प्रत्येक कोने में गाय और बैलों की स्थिति का पता लगाकर उनका संरक्षण और सुरक्षा क्यों नहीं करती ?
सरकार को गाय और बैलों की स्थिति का पता लगाकर उनका संरक्षण और सुरक्षा जरूर करना चाहिए; क्योंकि जब तक सरकार या शासक द्वारा कोई विशेष और ठोस कानून लागू करके पूरी प्रजा पर अनिवार्य रूप से नहीं लगाया जाएगा, तब तक प्रजा उस नियम को या किसी भी प्रकार के काम को अच्छे प्रकार से नहीं करेगी।
सरकार तो ऐसे ऐसे कार्यों को कर सकती है जिनको जनता सोच भी नहीं सकती। तो फिर, सरकार, गाय और बैलों का अच्छी तरह से संरक्षण और सुरक्षा क्यों नहीं करवाती ? सरकार को ऐसा जरूर करवाना चाहिए।
गो प्रजातियों की स्थिति में सुधार करने के कुछ तरीके हैं; जिनको मैं यहां पर बता रहा हूं-
1. गोबर की खाद का प्रयोग न करने से और कृत्रिम उर्वरकों का प्रयोग करने से भूमि ऊसर होती जा रही है। अतः किसानों के द्वारा अधिक मात्रा में प्रयोग किए जाने वाले डीएपी खाद (डाई) को बंद कर दिया जाए या उसके उत्पादन को अधिक से अधिक कम कर दिया जाए या किसानों की पहुंच तक रोक दिया जाए। जिससे कि, जब किसान डाई नामक उर्वरक को नहीं पाएंगे तो अधिक से अधिक पशु पालन करेंगे और उनके गोबर से खाद बनाकर अपने फसलों में और अपनी कृषि भूमि में प्रयोग करेंगे; जिससे कृषि भूमि की उर्वरता बनी रहेगी।
2. एलपीजी गैस का सर्व सुलभ बन जाने से पशुओं का महत्व बहुत ही घट गया है। अतः अधिकांशतः ग्रामीण क्षेत्रों में भोजन पकाने के लिए एलपीजी गैस की उपलब्धता को घटाया जाए, जिससे कि लोग गोबर से बने ऊपलों इत्यादि का प्रयोग करके भोजन को पकाएंगे। अथवा बायोगैस प्लांट (गोबर से बायोगैस बनाने वाला) को ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक से अधिक लगवाया जाए और एलपीजी गैस को ग्रामीण क्षेत्रों में ना भेजा जाए।
3. पशुओं के कृत्रिम प्रजनन पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगाया जाए, जिससे कि किसान अथवा पशु पालन कर्ता पशुओं के प्रजनन के लिए प्राकृतिक विधियों पर आश्रित रहें। इससे नर पशुओं की महत्ता बनी रहेगी।
4. लोग पोषण के लिए पौष्टिक औषधियों का अधिक से अधिक सेवन कर रहे हैं और छोटे-छोटे बच्चों को भी दूध ना पिला कर उन्हें पौष्टिक औषधियां खिलाते हैं तथा दूध के महत्व को नकार रहे हैं। अतः पौष्टिक औषधियों पर प्रतिबंध लगाकर पोषण के लिए दूध को महत्व दिया जाए।
Conclusions :-
भारत में गाय और बैलों की स्थिति में सुधार करने के लिए ये कुछ तरीके थे, जिनको हमने अपने विचार से लिखा है। यदि आपको मेरा यह लेख ठीक लगे तो आप इसे अधिक से अधिक शेयर करें और इसे आग की तरह फैलाएं ताकि भारत में गाय और बैलों की स्थिति में सुधार के लिए सरकार कोई कदम उठाएं और यह अत्यंत आवश्यक है।
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